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लेखनी कविता -16-Feb-2022 (विकास )

न्याय पथ की राह में अग्र बढ़ते रहो
तो विकास होगा जरूर

उल्लू झुल्लु किताबे बढ़ना छोड़ दो
तो विकास होगा जरूर

बड़ो की बात अमल में लाना सीखो
तो विकास होगा जरूर

मन के मैल को अगर मिटाते चलोगे
तो विकास होगा जरूर

हर पहलू को जानने की जिज्ञासा हो
तो विकास होगा जरूर

अच्छी संगति और संतुलित भोजन मिले
तो विकास होगा जरूर

हर वातावरण में खुद को ढ़ालना सीखो
तो विकास होगा जरूर

©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Feb-2022 03:57 PM

बहुत खूब लिखा सर

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N.ksahu0007@writer

17-Feb-2022 02:31 PM

बड़ी दीदी अनुज या भाई कह सकती है । मैं कोई सर नही हूँ ☺️☺️☺️☺️

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Seema Priyadarshini sahay

17-Feb-2022 05:49 PM

ओके☺️

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